Monika garg

Add To collaction

लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # संस्कारी

काफी देर से प्रकाश खिड़की मे बैठा उस सात आठ साल केे बच्चे को देख रहा था।वह रंग बिरंगी गोलियों के साथ खेल रहा था।कभी अपने से ही बोलता ,"कली या जूट"। फिर हंसता और कहता"पगले ये तो कली है।"
प्रकाश काफी देर तक उसका ये खेल देखता रहा । अचानक से वह पुरानी यादों मे खोता चला गया।वो दोपहर बाद का समय ऐसा ही तो था जब वह अपनी टूटी फूटी झोपड़ी के आगे ऐसी ही रंगीन गोलियों के साथ खेल रहा था । बच्चे बार बार उसे हरा रहे थे ।पर उसने आज जीतने की ठान ली थी।तभी प्रकाश को अपनी मां की चीख सुनाई दी ।वह दौड़कर झोपड़ी मे गया तो क्या देखता है मां जमीन पर औंधे मुंह पड़ी थी । अचानक गिरने से माथे पर चोट लगी थी जिससे खून बह रहा था। प्रकाश की चीख निकल गई ।उसने मां को हिलाया डुलाया पर मां तो बोल ही नही रही थी ।दस साल के प्रकाश के आगे अपने पिता की मौत नाच गयी ।वो भी तो अचानक से चले गये थे उनकी जिंदगी से ।मां को उनके जाने के बाद घर घर जूठन साफ करके पेट पालना पड़ा।आज वही मंजर फिर उसकी आंखों के सामने था। मां को यूं जमीन पर पड़ा देखकर प्रकाश रोते रोते हलकान हो गया "मां तुम मुझे छोड़कर मत जाना ।तुम मुझे छोड़कर मत जाना।"लेकिन जब उसने देखा मां की नाक से सांस धीमे धीमे आ रही है तो वह दौड़कर डाक्टर चाचा के पास गया और उन्हें बुला लाया।खून के रिश्ते तो बेमानी हो चुके थे मां बेटा के लिए।बस पास पड़ोस के रिश्ते ही कभी कभार काम आ जाते थे। प्रकाश के डाक्टर चाचा ने आकर उसकी मां का मुआयना किया तो हंसते हुए बोले ,"अरे तू तो वैसे ही घबरा गया ।कुछ नही हुआ तेरी मां को कमजोरी से बेहोश हो गयी है ।तू ऐसा कर कुछ खिला पिला दे अपनी मां को ठीक हो जाएगी और ले ये दवाई खाली पेट नही देना पहले कुछ खिला कर फिर देना।"डाक्टर चाचा ये कहकर चले गये पर अब प्रकाश अपनी भूखी मां के लिए खाना कहां से लाये।भीख मांगना उसके जमीर को गवारा नही था।सारा घर छान मारा कही भी कुछ नही मिला तभी एक डिब्बा जब उल्टा तो खन की आवाज से एक पांच का सिक्का जमीन पर गिरा । प्रकाश की आंखें चमक उठी।वह उसे हाथ मे लेकर सड़क की ओर दौड़ा मां के लिए कुछ खाने के लिए लाना है ये सोचकर ।पर हाय री किस्मत सड़क पर पडे पत्थर से ठोकर लगी और उम्मीद की एक किरण कही धूल मे खो गयी। प्रकाश बदहवास सा उसे ढूंढ ही रहा था कि अचानक एक रिक्शा आकर रुका उसमे से उतर कर एक व्यक्ति बड़ी जल्दी मे रिक्शे वाले को पैसे देकर जल्दबाजी मे बटुआ अपनी पिछली जेब मे रखने की कोशिश मे बटुआ वही गिराकर सामने की दुकान मे चला गया। प्रकाश ने देखा बटुआ नोटो से ठूंसा पड़ा था।एक मन हुआ बटुआ रख लेता हूं क्यों कि आवश्यकता हमेशा संस्कार पर भारी हो जाती है कभी कभी। लेकिन तभी मां की सीख याद आ गयी"बेटा चोरी का माल हमेशा नाली मे जाता है ।जो तेरा नहीं है उस पर तेरा अधिकार कैसा।"
मां के संस्कारों के वशीभूत प्रकाश चल दिया उस व्यक्ति को बटुआ लौटाने।"अंकल आप का बटुआ सड़क पर पड़ा था ।ये लीजिए और पैसे गिन लीजिए पूरे है क्या।"आदमी की आंखों मे पानी आ गया ।वह बोला,"बेटा पूरे ही होंगे अगर तुम्हें चुराने होते तो तुम ये देने ही नही आते। कहां रहते हो ?और कोन सी क्लास मे हो ?"
प्रकाश ने अपने घर के विषय मे बता दिया और उससे मां के लिए कुछ खरीदने के लिए कहा।और ये भी बताया कि पिता की मृत्यु से पहले कक्षा छह मे पढ़ता था।उस व्यक्ति ने उसकी मां के लिए खाने का सामना लिया और उसके साथ उसके घर तक गया ।पीछे से गली पड़ोस की औरतों ने मुंह पर पानी छिड़क कर मां को होश मे ला दिया था।सरला ताई मां के लिए चाय बना लाई थी ।तभी उस रहीस दिखने वाले आदमी ने झोपड़ी मे प्रवेश किया और मां को प्रणाम करके एक टूटी फूटी कुर्सी पर बैठ गया और मां से बोला,"बहन तुमने हीरा जना हे हीरा ।ऐसा सदगुणी बच्चा मैंने नही देखा ।आज से तुम दोनों मेरे साथ मेरे घर चलों एक बहन के रिश्ते से वहां रहना ।मेरा भी कोई नही है और प्रकाश को मै इतना पढ़ाऊंगा कि ये आकाश की ऊंचाइयां छूएगा।
तभी मां ने आकर तंद्रा भंग कर दी।"क्यों भयी जिलाधिकारी साहब क्या देख रहे हो खिड़की से।"
प्रकाश मां की तरफ मुड़ा और मुस्कुरा कर बोला,"मेरा बचपन।" 

#नान स्टाप चैलेंज #13 मई 2022

   26
11 Comments

sunanda

14-Mar-2023 05:33 PM

nice

Reply

Abhinav ji

15-Sep-2022 08:12 AM

Nice

Reply

shweta soni

21-Jul-2022 10:47 PM

Nice 👍

Reply